Sunday, May 15, 2022

उसे कौन पढ़ाएगा?


 लाल बत्ती पर गाड़ी रुकी। 10 - 12 साल का एक लड़का हाथ में पेन की गठरी लिए गाड़ी के पास आ पहुँचा। उसके एक हाथ में पेन की गठरी थी और दूसरा हाथ छोटी गुड़िया के हाथ में, शायद उसकी बहन होगी। झुलस रही गर्मी में गाड़ी के सभी शीशे बंद थे, इसलिए पता नहीं लगा कि वह क्या कह रहा था। किंतु स्वाभाविक तौर पर शायद पेन खरीदने को कह रहा होगा। मैंने उसे सुनने की कोशिश भी नहीं की, इसलिए क्योंकि भर्राती गर्म हवा में शीशा उतारने की हिम्मत नहीं हो रही थी। गाड़ी के अंदर AC 24 डिग्री पर था और बाहर का तापमान 46 डिग्री दिख रहा था। बत्ती लाल से हरी हो गई और गाड़ी आगे बढ़ गई। शीशे में मुस्कुराता हुआ चेहरा दिखाई दिया जो अपनी बहन का हाथ पकड़े सड़क के एक ओर चल दिया। एक दृश्य ने न जाने कितने प्रश्न मन में खड़े कर दिए -

- क्या इतनी भी फुर्सत नहीं थी कि शीशा उतार कर उसकी बात सुन सकता?
- भीषण गर्मी में लाल बत्ती पर खड़े होकर पेन बेचना क्या इनकी चाहत है?
- आज में जीने वाले इन बच्चों का भविष्य भारत की कौन सी पुस्तक में लिखा है?
- हर आने जाने वाले को कलम बेचने वाले ये बच्चे क्या खुद भी पेन चलाते होंगे?
- पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया का नारा देखकर आगे बढ़ने वाली सरकार की निगाहें क्या कभी इन पर टिक पायेंगी?

इस सबके बीच गाड़ी ने पता नहीं कब 360 डिग्री का टर्न लिया और उन बच्चों के पास जाकर रुक गई। मेरे पास बाकी प्रश्नों के हल तो नहीं थे और ना ही केवल पैसे देकर उनके स्वाभिमान को आहत करने की मेरी कोई मंशा थी। बस उसकी पेन की गठरी को खरीद कर उसे पैसे दे दिए। इस समय उसके चेहरे पर वैसी ही खुशी दिखी जैसी कोई क्रिकेट का कप जीतने पर टीम के कप्तान के चेहरे पर दिखती है। मैं वहां से वापस अपने रास्ते यही सोचता चला जा रहा था -
सभी को लिखने के लिए पेन बेचने वाले ये हाथ क्या कभी इन्हें चला भी पाएंगे। 
यह बच्चा जिस बच्ची का हाथ पकड़े घूम रहा है, उसे कौन पढ़ायेगा? 

3 comments:

  1. हम सभी के लिए वाकई सोचने का प्रश्न है

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  2. यह प्रश्न ही इस प्रसंग का भावार्थ है
    सिर्फ इकट्टा करने की हमारी प्रवर्ती पर यह प्रश्न है...

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  3. It's not possible to hold all those hands but I wish to hold a few. उस बच्ची को हम पढाऐंगे।

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