Monday, April 19, 2021

राम मेरे मन में है?

राम मेरे मन में है?

"भविष्य की जानकारी का होना बहुत बड़ी बात नहीं है लक्ष्मण। योग की कुछ विशेष क्रियाओं से कोई भी व्यक्ति किसी के भविष्य की जानकारी प्राप्त कर सकता है। बड़ी बात यह है लक्ष्मण कि विषम परिस्थिति सामने दिखने पर व्यक्ति की प्रतिक्रिया कैसी होती है?"

श्री राम ने यह सूत्र लक्ष्मण के माध्यम से हम सभी को तब दिया जब लक्ष्मण, माता जानकी को बाल्मीकि आश्रम छोड़कर पुनः अयोध्या लौट आये थे। वन से अयोध्या आते समय लक्ष्मण के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब उनने मंत्री सुमंत से यह जाना कि महाराज दशरथ को राम के जीवन में होने वाली इन सभी घटनाओं की पूर्व में ही जानकारी थी। संकट की घड़ी आने वाली है, इस जानकारी का कोई विशेष महत्त्व नहीं अगर संकट की घड़ी आने पर उसका सामना करने की हिम्मत ना हो। केवल विषम ही क्यों, सम और विषम दोनो ही परिस्थितियों में दी जाने वाली प्रतिक्रिया मनुष्य का कद तय करती है।

भगवान श्री राम और लक्ष्मण का यह संवाद इसलिए याद आ गया क्योंकि हाल ही में रामकथा कहने वाले एक पंडित जी परिस्थितियों के सामने हिम्मत हार गये और आत्महत्या जैसा कठिन कदम उठा डाला। जब वैश्विक परिस्थितियाँ ही प्रतिकूल हों तो व्यक्तिगत परिस्थितियों के अनुकूल होने की बात कैसे सोची जा सकती है?

रामनवमी का समय यही विचार करने का है कि वह जिसने यह सृष्टि बनाई है, वही इसका रक्षक भी है और पोषक भी है। उसके लिए यह सृष्टि कदाचित वैसी ही है जैसा हमारे लिए हमारा घर। फिर यह तो सोचने का विषय ही नहीं कि वह अपने इस घर को कैसे टूटने देगा। इस समय उसका श्री नाम अधरों पर ना भी हो तो कोई बात नहीं किंतु वह श्री राम संयम और धैर्य के रूप में उस हर व्यक्ति के मन में दिखाई देंगे जो विषम परिस्थितियों में भी संतुलित रहने का साहस दिखा सके।

 "जो समय को चीरता विश्वास के आंगन में है।

तमस में भी रश्मियों की आस जिस जीवन में है।

आँधियों में भी खड़ा जो धैर्य का दीपक लिये।

राम मुख पर ना दिखे श्री राम उसके मन में है॥"

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