Sunday, June 13, 2021

कुछ दिन के लिए प्रयास करके देखें


चर्चा जब बहस बन जाती है तो दो पक्ष स्पष्ट रूप से आमने सामने दिखाई देते हैं। जब तक स्वयं को श्रेष्ठ बताते हैं तब तक सब कुछ ठीक ही होता है, समस्या तब पैदा होती है जब श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए एक पक्ष दूसरे को नीचा सिद्ध करने का प्रयास करने लगता है। बीते दिनों ऐसी ही एक बहस आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा के बीच छिड़ गई। कौनसा विषय अधिक श्रेष्ठ है यह तो वही बता सकता है जिसे दोनों में महारथ हासिल है, कदाचित ऐसे महारथियों का जन्म होना अभी शेष है।

अन्ततः सभी ने अपने-अपने निर्णय ले लिए जिसमें अधिकांश के मुँह से कहते सुना गया - भारतीय चिकित्सा पद्धति व्यक्ति को स्वस्थ रखने का कार्य ज़्यादा अच्छे से कर सकती है, वहीं अस्वस्थ हो जाने पर आधुनिक चिकित्सा प्रणाली अधिक बेहतर तरीके से शारीरिक राहत प्रदान कर सकती है।

इस संपूर्ण चर्चा-परिचर्चा के बीच सभी ने एक स्वर से स्वीकार किया कि योगिक जीवन शैली शरीर और मन दोनों के लिए संजीवनी का कार्य कर सकती है। इसे कुछ हद तक अपनाने का यह अत्यधिक उपयुक्त्त समय है। जिस प्रकार दीपावली के समय चारों ओर रोशनी बिखरती दिखाई देती है, होली पर रंगों की छटा दिखने लगती है, वर्ष के आरंभ में बदलाव के संकल्प उभरते हैं, 15 अगस्त से पूर्व तिरंगे दिखने लगते हैं, तंबाकू निषेध दिवस पर नशे के विरुद्ध स्वर तेज़ होने लगते हैं, वैसे ही अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के समय योगिक वातावरण बनना चाहिए।

कुछ दिन के लिए ही सही किंतु योगिक जीवन शैली को जीने का प्रयास तो करना ही चाहिए, 7 दिन - 15 दिन अथवा उससे अधिक का संकल्प। सुबह जल्दी उठना, रात को जल्दी सोना, समय पर भोजन, अनावश्यक वस्तुओं का त्याग, सामान्य व्यक्ति की भांति अपने कार्यों को स्वयं करने का प्रयास, साथ ही साथ कुछ देर आसन, प्राणायाम, ध्यान एवं कुछ स्वाध्याय।

कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है, योग दर्शन और अभ्यास के लिए अनेकों व्यक्ति प्रयासरत हैं। हम सभी के पास घर बैठे ही कोई ना कोई link अवश्य आ जाएगा। एक ही सूत्र है - करें योग, रहें निरोग।

है नहीं साहस अगर उस आसमां को छू सकें,

सीढ़ियों पर चढ़ रहे जो हाथ उनका साथ दें।

 

-विवेक